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गणगौर महापूजा


ग्रह दोषों के प्रभाव से अथवा कमज़ोर भाग्य के कारण यदि जीवन के साधारण से कार्यों में भी अत्यधिक अडचनें आती होँ तो व्यक्ति को अपने जीवन में ये दिव्य पूजा अवश्य सम्पन्न करवानी चाहिए I ऋद्धि- सिद्धि एवं शुभ लाभ के स्वामी ...
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आयुष्य विधान


पूर्वजन्म कृत अशुभ कर्मों अथवा जन्मकुण्डली के आयु कारक ग्रहों के पीड़ित होने के कारण अथवा मारक दशाओं के प्रभाव से आयु संबंधित कोई दोष हो अथवा हथेली में जीवन रेखा में कोई कमी हो तो शास्त्रों में इन दोषों को दूर करके दीर...
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त्र्यम्बक विधान


ग्रह दोष, शत्रु दोष एवं पितृ दोष ये तीन जीवन के महादोष कहे गए हैं I एक व्यक्ति के जीवन में इन तीनों में से किसी एक अथवा तीनों दोषों के कारण ही कष्ट, अरिष्ट अथवा पीड़ा की प्राप्ति होती है I यदि ये तीनों दोष शांत र...
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मातृका विधान (नौकरी प्राप्ति, समयानुसार प्रगति एवं पदोन्नति हेतु)


गौरी, पद्मा, शची, मेधा आदि श्रेष्ठतम षोडश मातृकाओं एवं तीव्र प्रभाव वाली चौंसठ योगिनियों को समर्पित ये दिव्य पूजन जीवन को सुख- समृद्धि से परिपूर्ण करने के साथ ही नौकरी अथवा रोजगार संबंधित समस्याओं को दूर करने में, मनच...
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शीघ्र विवाह विधान


जैसे- जैसे हम तकनीकी तौर पर उन्नति प्राप्त करते जा रहे हैं हमारे जीवन में व्यवसायिकता बढ़ गई है सामाजिक ताने-बुने कमज़ोर पड़ते जा रहे हैं I कल तक जहां विवाह एक साधारण सी प्रक्रिया थी आज मानवीय संवेदनाओं की कमी के चलते...
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घंटाकर्ण विधान


ॐ घंटाकर्ण: महावीरो सर्वव्याधि विनाशक: I विस्फ़ोटकं भयं प्राप्ते रक्ष रक्ष महाबल II स्तम्भन, वशीकरण, मारण हो अथवा मोहन तंत्र की कौन सी ऐसी क्रिया है जो इस घंटाकर्ण विधान के द्वारा सम्पन्न नहीं हो सकती किन्तु फ...
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दशा शांति विधान


मनुष्य एवं ग्रहों का अविच्छिन्न संबंध है I पूर्व जन्म के संचित कर्म प्रारब्ध बनते हैं और प्रारब्ध का प्रतिफल हमें ग्रहों के माध्यम से दिखाई देता है I अब कुण्डली में जैसे ग्रह होंगे वैसा जीवन में शुभाशुभ फल प्राप्त होग...
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नवग्रह मंगल विधान


"ग्रहा: राज्यं प्रयच्छन्ति ग्रहा: राज्यं हरन्ति च" अर्थात आपकी जन्म कुण्डली में विराजमान हुए ग्रह गण यदि प्रसन्न हैं तो बिना परिश्रम के भी राज्य सुख दे सकते हैं और यदि प्रतिकूल हो जाएं तो सब कुछ छीन भी लेते ...
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महामृत्युंजय विधान


मृत संजीवनी विद्या के अधिष्ठाता भगवान शिव के अमृत स्वरुप का नाम महामृत्युंजय है I ऊपर के दोनों हाथों में अमृत कलश लेकर अपना सिंचन करने वाले ये भगवान महामृत्युंजय अकल मृत्यु रूपी महादोष को नष्ट करने में समर्थ हैं I अना...
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पुत्रेष्टि यज्ञ


हमारे भारतीय समाज में सामाजिक और धार्मिक दोनों कारणों से पुत्र की महत्ता सदैव से रही है I पुत्र की प्राप्ति के लिए यहाँ पर दंपत्ति तरह- तरह के औषधि उपचार से लेकर मन्नतें मांगने तक अनेक प्रयत्न करते हैं किन्तु अनेक बार...
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सहस्त्रविष्णु विधान


शास्त्र कहते हैं की जिन लोगों ने पूर्व जन्म में शुभ कर्म या पुण्य किये हैं वे आज सुख का उपभोग कर रहे हैं और जिन लोगों ने पूर्व जन्म में पाप किये हैं आज वे दुःख भोग रहे हैं अर्थात शुभ कर्मों का प्रतिफल सुख एवं पाप कर्म...
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उपरीदोष नाशक विधान


नज़र, टोना-टोटका, हाय, किया- कराया आदि के द्वारा एवं भूत- प्रेत, पिशाच, डाकिनी, शाकिनी, बेताल, जिन्न, मसान आदि के द्वारा उत्पन्न होने वाले दोषों को उपरी दोष कहा जाता है I ये नकारात्मक उर्जाएँ (Negative energies)&...
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नौकरी प्राप्ति हेतु पूजा


पूर्व काल में विद्या प्राप्ति का सीधा सा अर्थ ज्ञान प्राप्ति से होता था, विद्वान बनना होता था, स्वयं की आत्मशांति एवं दूसरों को ज्ञानी बनाने हेतू कोई विद्वान बनता था धन कमाना मुख्य बात नहीं थी किन्तु आज समय बदल गया I ...
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पितृ शांति विधान


  हमारे कुल के वे दिवंगत पूर्वज जो किसी अशुभताओं के वशीभूत होकर अंतरिक्ष मण्डल में भटकते फिरते हैं अति अशुभ कर्मों के कारण अथवा अपने वंशजों के श्राद्ध तर्पण आदि शुभ क्रियाओं के अभाव के कारण दूसरा जन्म लेने मे...
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सिद्ध लक्ष्मी पूजा


जन्म जन्मान्तर की घोर दरिद्रता रूपी अभिशाप को मिटाने के लिए दोष, दुःख एवं दुर्भाग्य के बदले सुख सौभाग्य एवं सम्पन्नता की प्राप्ति के लिए भगवती महालक्ष्मी के इस दिव्य स्वरुप की पूजा की जाती है I जीतोड़ परिश्रम के पश्चा...
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वास्तु विधान(गृह रक्षा, वास्तु दोष निवारण एवं सुखमय आवास हेतु)


भूखंड एवं इसमें निर्मित होने वाले किसी भी प्रकार के परिसर जैसे मकान, दुकान, फैक्ट्री, स्कूल, हस्पताल आदि में वास्तु का प्रभाव रहता है यदि निर्माण कार्य को वास्तु एवं दिशाओं के अनुरूप बनाया जाएँ तो प्रकृति के आशीर्वाद ...
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पञ्च लोकपाल पूजा विधान (सम्पूर्ण परिवार में सुख- शांति, उन्नति, प्रगति प्राप्ति हेतु)


जब लगें की परिवार को तरह-तरह की अशान्तियाँ, परेशानियाँ, बीमारियाँ तंग कर रही हैं कुछ ऐसा चल रहा है जो ख़तम होने का नाम नहीं ले रहा, एक व्यक्ति के सिर से मुसीबतें टली तो पाता चला की दूसरा सदस्य किसी दूसरी उलझन में पड़ ...
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