शीघ्र विवाह विधान

जैसे- जैसे हम तकनीकी तौर पर उन्नति प्राप्त करते जा रहे हैं हमारे जीवन में व्यवसायिकता बढ़ गई है सामाजिक ताने-बुने कमज़ोर पड़ते जा रहे हैं I कल तक जहां विवाह एक साधारण सी प्रक्रिया थी आज मानवीय संवेदनाओं की कमी के चलते एवं प्रोफेशनलिज्म के बढ़ने के कारण केवल अच्छा कमाने वाले या यूं कहें की सिर्फ सेटल्ड बच्चों का ही विवाह हो पाता है I थोडा कमाने वाले या अन्सेटल्ड बच्चे बड़ी उम्र के हो जाने के बावजूद भी विवाह के सुख से वंचित हैं I यह तो एक साधारण दृष्टि है किन्तु कई बार हर तरीके से योग्य, सुन्दर, सुशील होने के बावजूद भी गुरु शुक्र ग्रहों की अशुभताओं के प्रभाव से 34- 35 वर्ष की आयु तक भी विवाह संभव नहीं हो पाता I बातें तो बहुत चलती हैं रिश्ता नहीं जुड़ पाता, सगाई तो हो जाती है शादी नहीं हो पाती, क्या करें ऐसे में ? मानव जीवन की इन वैवाहिक परेशानियों के निवारण हेतु शास्त्रों में अनेक प्रकार के शीघ्र विवाह विधान बताये गए हैं जिनको विधिपूर्वक सम्पन्न करवाकर यथा शीघ्र विवाह सुख प्राप्त किया जा सकता है, देरी को दूर किया जा सकता है I ऐसे में कन्याओं के वैवाहिक विलम्ब को दूर करने के लिए शास्त्रों में मंगलचंडी विधान, त्रयम्बक विधान, कात्यायनी पूजन, गौरी पूजन एवं लड़कों के शीघ्र विवाह हेतु, सुन्दर एवं मनोनुकूल पत्नी की प्राप्ति के लिए मनोरमा पत्नी प्राप्ति विधान, विश्वावसु गन्धर्व विधान, संपुटित चंडी विधान आदि का वर्णन किया गया है जिनको सम्यक् रूपेण करवाकर आप अपने विवाह योग्य बच्चों को उनका श्रेष्ठ जीवनसाथी प्रदान कर सकते हैं और खुद को भी भागदौड़ से एवं बारम्बार मीटिंग से बचा सकते हैं I इन विधानों की एक खासियत यह भी है की इनके पश्चात् होने वाले विवाह शुभ, शांतिकारक, मंगलमय एवं श्रेष्ठ संतानों से युक्त होते हैं अर्थात ऐसे जीवन में खुशियाँ ही खुशियाँ होती हैं I मैं कहता हूँ की फिर इन खुशियों को पाने में और जहां बात अपने लाडलों की खुशी की हो तो उसमें भी देरी कैसी संस्था के विद्वान आपके निमित इन क्रियाओं को करवाने हेतु आपका सहर्ष स्वागत कर रहे हैं

उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान उमें रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I