वास्तु विधान(गृह रक्षा, वास्तु दोष निवारण एवं सुखमय आवास हेतु)

भूखंड एवं इसमें निर्मित होने वाले किसी भी प्रकार के परिसर जैसे मकान, दुकान, फैक्ट्री, स्कूल, हस्पताल आदि में वास्तु का प्रभाव रहता है यदि निर्माण कार्य को वास्तु एवं दिशाओं के अनुरूप बनाया जाएँ तो प्रकृति के आशीर्वाद से सुख शांति एवं उन्नति की प्राप्ति होती है इसके विपरीत बनाए जाने पर दोष उत्पन्न होकर जीवन में तरह- तरह के संघर्ष एवं विपदाओं का सामना करना पड़ता है किन्तु लाख चाह कर भी स्थान के अभाव के कारण अथवा आर्थिक प्रतिबद्धता के कारण या कभी सरकारी नियमों के तहत व्यक्ति चाह करके भी वास्तु के अनुकूल गृह निर्माण नहीं कर पाता और पुराने बनाए हुए अथवा बिल्डरों के बनाए हुए मकानों में तो वास्तु की कल्पना भी नहीं हो पाती ऐसी विकट स्थिति से उभरने के लिए अपने जीवन को अपने परिसर को सुख-समृद्धिमय बनाए रखने के लिए दुःख, कष्ट अथवा रोग को मिटाने के लिए संस्था के द्वारा वास्तु शांति विधान सम्पन्न करवाए जाते हैं जिसके प्रभाव से बिना तोड़- फोड़ के ही वास्तु एवं इसके अंगभूत समस्त देवता प्रसन्न होकर घर को वास्तु दोष रहित बना देते हैं जिससे व्यक्ति दोष युक्त मकान में भी अबाधित सुख- शांति से परिपूर्ण जीवन यापन कर सकता है I

 

उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान में रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I