महामृत्युंजय विधान

मृत संजीवनी विद्या के अधिष्ठाता भगवान शिव के अमृत स्वरुप का नाम महामृत्युंजय है I ऊपर के दोनों हाथों में अमृत कलश लेकर अपना सिंचन करने वाले ये भगवान महामृत्युंजय अकल मृत्यु रूपी महादोष को नष्ट करने में समर्थ हैं I अनादि काल से ही मृत्यु शैय्या में पड़े हुए, गम्भीर रोगों से पीड़ित तथा घोर कष्टों से कराहते लोगों ने जब- जब भी भगवान महामृत्युंजय के दिव्य मंत्र का जाप सम्पन्न करवाया है उन्हें चमत्कार महसूस हुआ है I आज भी बड़ी विपदा के आ जाने पर, असाध्य रोगों के लग जाने पर, मृत्यु का भय प्रकट होने पर, जटिल ग्रह दशाओं के कारण जीवन में व्यवधान उत्पन्न होने पर श्रेष्ठ ज्योतिषी एवं ब्राह्मण गण इसी विधान को अपने यजमानों से विधिपूर्वक सम्पन्न करवा कर उन्हें कष्टों से राहत दिलाते हैं I बंधनोंसे मुक्ति के लिए भी यह मंत्र अदभुत कार्य करता है I आवश्यकता है तो इसे विधि- विधान से सम्पन्न कराने की I संस्था के ब्राह्मण इस कार्य में दक्ष हैं I

उत्तम सदाचारी, मन्त्रविद, कर्मकाण्डी विद्वान ब्राह्मणों के द्वारा आपके कल्याण हेतु कार्यों को सिद्ध कराने वाली विशिष्ट पूजाएं अत्यन्त मनोयोग के साथ आपके दुखों को ध्यान में रखकर सम्पन्न कराई जाती हैं I हजारों व्यक्ति लाभान्वित हुए हैं I