मन्त्र

मन्त्र मात्र अक्षरों का समूह नहीं है I इसको बनाने वाले उस तपस्वी ने अपने अनेकों वर्षों की तपस्या से, साधना से, दैवी कृपा से किसी वैज्ञानिक खोज की तरह ये पाया की कुछ शब्द, अक्षर विशेषों को एक निर्धारित समूह में, क्रम में, एक विशेष लय में, एक स्वर विशेष में, एक निश्चित संख्या में, एक आसन विशेष में और एक परिस्थिति विशेष में उच्चारण किये जाने पर वातावरण में व्याप्त ईथर नाम के तत्व में फैलकर प्रकृति की एक शक्ति विशेष को आकर्षित करता है ठीक वैसे ही जैसे बिना  कान वाला सांप बीन से उत्पन्न होने वाली तरंगों से प्रभावित होकर सपेरे के सामने नाचने लगता है और उसकी टोकरी में बंद हो जाता है I जैसे रिले सेंटर से छोड़ी गई निश्चित फ्रीक्वेंसी की तरंगें अन्तरिक्ष में स्थापित किये गए सैटेलाईट से प्रभावित होकर आपकी किसी चैनल विशेष में उन्हीं प्रतिबिम्बों को उन्हीं क्रिया कलापों को, उन्हीं रंगों तथा दृश्यों को प्रदर्शित करता है जैसा की भेजने वाला दिखाना चाहता है ठीक इसी प्रकार से जापक या साधक के मंत्रों से उत्पन्न हुई तरंगें उसके मनचाहे कार्यों को सिद्ध करने में सक्षम होती हैं क्योंकि मन और मस्तिष्क से बढ़कर इस संसार में दूसरा कोई जटिल यन्त्र नहीं है I अब तक हो चुके लाखों आविष्कार इसी मानव मन और मस्तिष्क ने खोजे हैं तो फिर इसी मन की सत्ता से प्रकट होने वाला मन्त्र अपार शक्ति से सम्पन्न क्यों नहीं होगा ? आवश्यकता है तो बस मंत्रों को संस्कारित करके, नियम पूर्वक जाप करके, अपने इष्टदेव के प्रति एकाग्रता को बढ़ा करके थोडा सा तप करने की I और यदि एक बार आप अपने मन्त्र को जागृत, प्राणप्रतिष्ठित, चैतन्य, संस्कारित करने में सफल हो जाते हैं तो वह मन्त्र सिद्ध होकर आपके लिए अपने भीतर छुपी हुई शक्तियों को प्रकट करने लगता है और किसी वायुयान की भाँति आपको इस ब्रह्माण्ड की अनंत गहराईयों में ले जाता है किन्तु इन प्रसुप्त मंत्रों को सूखे बीज की अवस्था से लहराते हुए, फलों से भरे हुए वृक्ष की भाँति जागृत करने की विधि अत्यन्त दुष्कर, अनुभवाकंक्षी कण एवं जटिलता से परिपूर्ण होती है जिसे एक योग्य गुरु, मान्त्रिक एवं मार्गदर्शक ही बता सकता है I अगर है आपमें भी ललक अपने पूर्वजों की इस थाती (विरासत) को पाने की, उन दिव्य दृष्टियों से सम्पन्न ऋषियों के द्वारा निर्मित मंत्रों को साधने की, अपने दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की तो संस्था के द्वारा आप अपने अभीप्सित (मनचाहे) मन्त्र की 100% शुद्ध एवं पूर्ण विधि से उच्चारण सहित जागृति करवा सकते हैं
इसके लिए योग्यता :- आपके जीवन की निश्चित मात्रा में पवित्रता, आपकी देवताओं के प्रति अखण्ड श्रद्धा, सिद्धि को पाने की ललक, आपकी परिश्रम क्षमता, इस विद्या के प्रति अखण्ड विश्वास एवं संस्था की कार्यशीलता को बनाए रखने के लिए एवं विद्वानों के लिए अनुदान राशि Rs. 41000/- प्रत्येक मन्त्र के लिए I
(
योग्य, पवित्र, निर्धन एवं निश्छल मन वाले अविवाहित युवाओं के लिए मन्त्र मुफ्त में संस्कारित किया जा सकता है और उनकी मन्त्र सिद्धि में पूर्ण सहायता की जा सकती है)
 इन मंत्रों को जब कोई साधक तन्मयता से जाप करता है तो उसे साधारण कार्य सिद्धि के अलावा अलौकिक सिद्धियाँ भी प्राप्त होने लगती हैं I आईये आपको मन्त्र एवं साधनों से प्राप्त होने वाली सिद्धियों के बारे में बताएं I

महासिद्धियाँ

ये मुख्य सिद्धियाँ आठ प्रकार की होती हैं I इनमें से एक भी महा सिद्धि के प्राप्त हो जाने के बाद व्यक्ति के लिए संसार में कुछ भी असंभव नहीं रह जाता I ये आठों सिद्धियाँ यदि किसी को प्राप्त हो जाएं तो समझिये की वो साक्षात् ईश्वर है I इनके प्रकार :-

1.    अणिमा : इस सिद्धि को प्राप्त करने वाला व्यक्ति समस्त अणु एवं परमाणुओं की शक्ति से सम्पन्न हो जाता है I एक भौतिक वैज्ञानिक अच्छे से जानता है की एक- एक परमाणु अपने में कितनी ऊर्जा को समाहित किये हुए है I एक ग्राम यूरेनियम के संवर्धन से इतनी ऊर्जा निकलती है की पलक झपकने की देरी में 13 बार पृथ्वी को नष्ट किया जा सकता है तो इस अणिमा की सिद्धि से सम्पन्न योगी को कितनी शक्ति प्राप्त होती होगी I

2.    महिमा : इस सिद्धि से सम्पन्न हुआ महायोगी ईश्वर की तरह प्रकृति को बढ़ाने में सक्षम होता है I क्योंकि साक्षात् श्री हरि अपनी इसी सिद्धि से ब्रह्माण्ड का विस्तार करते हैं I ऋषि विश्वामित्र को ये सिद्धि प्राप्त हुई थी I

3.    लघिमा : इस दिव्य महासिद्धि के प्रभाव से योगी सुदूर अनन्त तक फैले हुए ब्रह्माण्ड के किसी भी पदार्थ को अपने पास बुलाकर उसको लघु करके अपने हिसाब से उसमें परिवर्तन कर सकता है I भगवान विष्णु जी अपनी इसी कला से इस अनन्त ब्रह्मांडों के समूह के कण- कण के ऊपर नियंत्रण रखते है I

4.    प्राप्ति : इस सिद्धि के बल पर जो कुछ भी पाना चाहें उसको पाया जा सकता है I

5.    प्राकाम्य : इस सिद्धि के सिद्ध हो जाने पर आपके मन के विचार घनीभूत होकर ठोस पदार्थों में तब्दील होने लगते हैं अर्थात आपकी सोच जीवन्त संसार बनने लगती है I उन परमेश्वर ने अपनी इसी कला से इस ब्रह्माण्ड का निर्माण किया I उन्होंनेंउड़ने की इच्छा की तो पक्षियों की सृष्टि हुई, उन्होनें चमकना चाह तो हीरे बन गए, उन्होनें देखना चाहा तो सूर्य और टिमटिमाना चाहा तो तारे बन गए I

6.    ईशिता : इस संसार को नचाने वाली ब्रह्मा जैसे सृष्टिकर्ता को मोहित करने वाली माया इस सिद्धि से सुसम्पन्न महायोगियों के नियंत्रण में हो जाती है अर्थात वो ईश जैसा ही बन जाता है I

7.    वशिता : जिस सिद्धि को साधने पर संसार के जड़, चेतन, जीव-जन्तु, पदार्थ- प्रकृति, देव- दानव सब वश में हो जाते हैं उसे वशिता कहते हैं I

8.    ख्याति : जिस सिद्धि को प्राप्त करने पर योगी अष्ट लक्ष्मी का स्वामी बन जाता है, समस्त भौतिक और परमार्थिक सुख संपदाएं प्राप्य बन जाती हैं I भगवान नारायण को इसी कला के प्रभाव से समुद्र की पुत्री महा लक्ष्मी ने वारन किया I

इसके अलावा दस सिद्धियां और भी हैं जिनके बल पर कोई सिद्ध कहलाता है इसंक्षेप में इनके बारे में सुनिए :

·        अनूर्मि सिद्धि(भूख, प्यास, शोक, मोह, जरा, मृत्यु पर नियंत्रण)

·        दूरश्रवण सिद्धि (दूरस्थ बातों का ज्ञान)

·        दूरदर्शन सिद्धि (संसार के किसी भी पदार्थ को देख पाने की शक्ति)

·        मनोजव सिद्धि (मन के वेग से कहीं भी स्थानांतरित होने की शक्ति)

·        कामरूप सिद्धि (अपने शरीर को किसी भी रूप में बदलने की शक्ति)

·        परकाया प्रवेश सिद्धि (अपनी आत्मा को किसी भी जीव- जन्तु में प्रवेश करा देने की शक्ति)

·        स्वछंदमरण सिद्धि (अपनी इच्छा से मृत्यु की शक्ति)

·        देवक्रीडानुदर्शन सिद्धि (स्वर्ग तक में हो रही गतिविधियों को देखने की शक्ति)

·        यथासंकल्प सिद्धि (संकल्पों, विचारों को पूर्ण करने की शक्ति)

·        अप्रतिहतगति सिद्धि (अबाधित गति की शक्ति)

इसके अलावा काफी सारी क्षुद्र सिद्धियां होती हैं जो जल्दी ही प्राप्त हो जाती हैं इनसे साधक चमत्कारिक बन जाता है किन्तु इनमें न रूककर बड़ी सिद्धियों की तरफ जुटना चाहिए I

II माला चयन II

1.    तन्त्र सिद्धि के लिए शमशान में लागे हुए धतूरे की माला सर्वश्रेष्ठ होती है I

2.    सभी सिद्धियों के लिए, सभी मंत्रों के लिए रुद्राक्ष की माला प्रयोग कर सकते हैं I

3.    महालक्ष्मी की प्राप्ति के लिए कमलगट्टे की माला प्रयोग करनी चाहिए I

4.    पाप नाश के लिए कुशमूल की माला से जाप करना चाहिए I

5.    भक्ति की प्राप्ति के लिए या मोक्ष प्राप्ति के लिए तुलसी की माला प्रयोग करनी चाहिए I

6.    वशीकरण से संबंधित कार्यों में मूंगे की माला से जाप करना चाहिए I

7.    पुत्र प्राप्ति के लिए पुत्रजीवा की माला से जाप करें I

8.    नौकरी की प्राप्ति के लिए लाल हकीक की माला से जाप करें I

9.    विद्या प्राप्ति के लिए स्फटिक माला से मन्त्र जपें I

माला जाप करते वक्त सावधानियां

1.    माला के मनके एक जैसे होँ, छोटे- बड़े नहीं I

2.    माला में साधारणतया 108 मनके एक सुमेरु मिलाकर कुल 109 दानें होने चाहियें I

3.    माला का धागा शुरू से अंत तक एक ही होना चाहिए बीच में गांठ नहीं आनी चाहिए I

4.    सुमेरु को बाँधनें के लिए ढाई फेरों वाली ब्रह्म ग्रंथि का प्रयोग करना चाहिए न की साधारण गांठ का I

5.    रुद्राक्ष की माला को बनाते समय मुख से मुख और पुच्छ से पुच्छ मिलाने चाहियें तभी सिद्धि होती है I

6.    वशीकरण के कार्यों में लाल, शांति कार्यों में सफ़ेद, धन प्राप्ति के लिए पीले रेशमी सूत का प्रयोग करना चाहिए I

7.    अच्छी सिद्धि के लिए कुंवारी ब्राह्मण कन्या के हाथ से कता हुआ सूत प्रयोग करना चाहिए I

8.    भली प्रकार से बनी हुई माला को संस्कारित करना चाहिए तभी मन्त्र चैतन्य होकर मनोकामना को पूर्ण करते हैं I

9.    जाप करते हुए न तो माला को हिलाएं न स्वयं हिलें I

10. मन्त्र जाप करते हुए आवाज न आएँ I

11. माला फेरते समय इसे गौमुखी या वस्त्र के अन्दर रखें ताकि माला किसी को दिखे नहीं I

12. माला को हमेशा शुद्ध जगह रखें और माला एवं आसन किसी से शेयर न करें I

13. जाप करते वक्त इसे तर्जनी उंगली का (अंगूठे के साथ वाली) स्पर्श न होने देन I

इस प्रकार से श्रेष्ठतम पदार्थों, पूर्ण विधि से बने हुए एवं मंत्रों द्वारा संस्कारित उत्तम मालाएं संस्था के द्वारा उपलब्ध कराई जाती हैं I आप चाहें तो अपनी माला को संस्था के विद्वानों द्वारा पूर्ण विधि- विधान से Online or Offline संस्कारित करवा सकते हैं I शुद्ध माला प्राप्त करें  ORDER NOW

आसन संबंधित नियम

मन्त्र एवं साधनाओं में आसन का भी अपना विशिष्ट महत्व है और इसे नज़र अंदाज करके आप सिद्धि की प्राप्ति नहीं कर सकते I आईये जानिए कौन सा आसन दे सकता है आपको सिद्धि :-

·        कामना सिद्धि के लिए                ऊनी वस्त्र का आसन

·        धन प्राप्ति के लिए                       रेशम का आसन

·        ज्ञान प्राप्ति के लिए                      कुशासन

·        शत्रु नाश के लिए                        व्याघ्र आसन

·        सफलता के लिए                        मृगचर्म आसन

·        सन्तान के लिए                          कुशासन

·        गृहस्थ सुख के लिए                    ऊन का आसन

·        शीघ्र विवाह के लिए                    लाल रेशम का आसन

·        भाग्योदय के लिए                      लाल कम्बल का आसन

·        सभी साधनाओं के लिए               काले कम्बल का आसन