कुछ तांत्रिक सिद्धियों एवं महा शक्तियों को पाने के लिए हठ पूर्वक साधना करते हैं जैसे बारह वर्षों तक लगातार खड़े रहकर तन्त्र मन्त्र का जाप करना, पंचाग्नि तप करना, दृढ़ता पूर्वक प्रकृति के विपरीत जाकर किसी कठोर नियम को धारण कर लेना एवं विशिष्ट साधना करना आदि I इन साधकों को अघोरी कहा जाता है एवं इन साधनाओं को अघोर या वीर साधना कहा जाता है I करने में अत्यन्त क्रूर प्रकृति की, कठोर एवं महाप्रभावशाली ये साधनाएं कोई- कोई साधक जिनका अपने मन, वाणी एवं इन्द्रियों पर पूर्ण नियंत्रण होता है वही यह कठोर या वीर साधना को सम्पन्न कर सकते हैं I
वीर साधना विधि के कुछ भेद :-
1. क्षेत्रेष वीर साधना
2. अघोर शिव साधना
3. क्रोध भैरव साधना
4. जयचण्डी वीर साधना
5. वीरार्दन साधना
6. मुण्डासन साधना
7. चिता साधना
8. शव साधना
एक साधारण साधक इन साधनाओं की तरफ प्रवृत्त न हो I मात्र तन्त्र एवं कलाओं के ज्ञान हेतु एवं इस विषयक जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए ये ज्ञान दिया गया है I
इसी भाँति जो उत्तम कोटि के साधक इन सांसारिक प्रपंचों से दूर रहकर अपने आत्म उत्थान हेतु ब्रह्मविद्या को जानने के इच्छुक हैं या मोक्ष प्राप्ति करना चाहते हैं उनके लिए तन्त्र शास्त्र में गायत्री, सावित्री आदि महाविद्याएँ वर्णित हैं जिनके कुछ भेद नीचे दिए गए हैं :
1. ब्रह्मास्त्र मन्त्र प्रयोग (ब्रह्माजी के सृष्टि रहस्यों को जानने हेतु)
2. ब्रह्मदंडास्त्र मन्त्र प्रयोग (काल के रहस्यों को जानने हेतु)
3. ब्रह्मशिरास्त्र मन्त्र प्रयोग (श्रेष्ठतम ब्रह्मविद्या को जानने हेतु)
4. गायत्री पाशुपतास्त्र मन्त्र प्रयोग (भगवान शंकर जी की शक्तियों एवं रहस्यों को जानने हेतु)