1. विवाह योग्य लोगों को प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए I
2. भूलकर भी वृद्धों का असम्मान न करें I वृद्ध व्यक्तियों का यथा सामर्थ्य सम्मान एवं मदद करें I
3. गुरुवार कि शाम को पाँच प्रकार कि मिठाई के साथ हरी इलायची का जोड़ा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिए I यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार से करना चाहिए I यह लगातार तीन गुरुवार करना चाहिए I
4. गुरुवार को केले के वृक्ष के समक्ष गुरु के 108 नामों के उच्चारण के साथ शुद्ध घी का दीपक तथा जल अर्पित करना चाहिए I
5. यदि किसी कन्या की पत्रिका में मंगली योग होने के कारण विवाह में बाधा आ रही हो तो वह कन्या मंगल चंडिका स्तोत्र का मंगलवार तथा शनिवार को सुन्दरकाण्ड का पाठ करे I इससे भी विवाह बाधा दूर होती है I
6. यह प्रयोग स्त्री वर्ग के लिए ही है, विशेषकर आयु होने के बाद भी विवाह होने में बाधा आने से मुक्ति के लिए है I शुक्रवार की रात्रि में आठ सूखे छुआरे जल में उबालकर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को परत: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में प्रवाहित कर दें I यह प्रयोग भी चमत्कारी है I
7. यह प्रयोग भी सिर्फ कन्या वर्ग के लिए है I इस प्रयोग के लिए किसी भी शुक्ल पक्ष की प्रथमा तिथि को प्रात:काल में स्नान से निवृत होने के बाद श्रीराम व सीता के संयुक्त चित्र का षोडषोपचार पूजन के पश्चात् चित्र के सामने बैठ जायें I फिर निम्न चौपाई का 108 बार पाठ करें I यह उपाय लगातार 40 दिन तक करना है I कन्या वर्ग को उनके अस्वस्थ दिनों की छूट होती है, इसलिए जब तक पुन: शुद्ध न हो जायें तब तक इस प्रयोग को रोक देना चाहिए I शुद्ध होने पर पुन: आरम्भ करें I अशुद्ध होने से पहले तथा शुद्ध होने बाद के दिनों को मिलाकर ही दिनों की गिनती होगी I प्रभु की कृपा से 40 दिनों में ही रिश्ता हो जाता है I चौपाई - सुनु सिय सत्य असीम हमारी I पुजहि मनकामना तुम्हारी II
8. शीघ्र विवाह के लिए सोमवार को 1200 ग्राम चने की डाल व सवा लिटर कच्चा दूध दान करें I जब तक विवाह न हो, तब तक यह प्रयोग करते रहना है I इस प्रयोग में आपका विवाह योग होना आवश्यक है I
9. यह उपाय सिर्फ कन्या वर्ग के लिए है I इस उपाय में किसी भी शुक्लपक्ष के प्रथम सोमवार से भगवान शिव के नाम से सात व्रत का संकल्प लेकर व्रत आरम्भ करें I कन्या श्वेतार्क के वृक्ष के पास जाकर धूप- दीप अर्पित कर जल आचमन कर आठ पत्ते तोड़कर लाये I सात पत्तों की तो पत्तल बनाये तथा आठवें पत्ते पर कन्या अपना नाम लिखकर भगवन शिव को अर्पित करे I व्रत का भोजन सात पत्तों की पत्तल पर ही करें तथा व्रत पूर्ण होने के बाद श्वेतार्क के पुष्प भगवान आशुतोष को अर्पित करें I विवाह के बाद कन्या अपने पाती के साथ जाकर 108 श्वेतार्क के पुष्प की माला बनाकर भगवान शिप को अवश्य अर्पित करें I
10. कन्या जब किसी कन्या के विवाह में जाये और यदि वहां पर कन्या को मेहन्दी लग रही हो तो अविवाहित कन्या कुछ मेहन्दी उस कन्या के हाथ से लगवा ले तो विवाह का मार्ग प्रशस्त होता है I
11. कन्या सफेद खरगोश को पाले तथा अपने हाथ से ही उसे भोजन के रूप में कुछ दे I यदि विवाह में बुध रूकावट दे रहा हो तो कन्या खरगोश को हरी घास खिलाये I
12. कन्या के विवाह की चर्चा करने उसके घर के लोग जब भी किसी के यहाँ जायें तो कन्या खुले बालों से, लाल वस्त्र धारण कर हँसते हुए उन्हें कोई मिष्ठान खिला कर विदा करे I विवाह की चर्चा सफल होगी I
13. पूर्णिमा को वटवृक्ष की 108 परिक्रमा देने से भी विवाह बाधा दूर होती है I गुरुवार को वट, पीपल, केले के वृक्ष पर जल अर्पित करने से विवाह बाधा दूर होकर शीघ्र विवाह का योग बनता है I
14. आयु होने के बाद भी यदि किसी कन्या का विवाह नहीं हो रहा है तो वह कन्या यदि किसी ऐसी कन्या के विवाह के वस्त्र धारण कर ले जिसका विवाह हो रहा हो तो उसके विवाह का योग भी शीघ्र ही निर्मित होता है I
15. यदि किसी कन्या का बहुत प्रयास के बाद भी विवाह न हो रहा हो तो वह किसी भी शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार को अभिमंत्रित श्री गुरु यंत्र को केले के वृक्ष में स्थान देकर सात गुरुवार के मीठे व्रत का संकल्प लेकर व्रत आरम्भ करना चाहिए I श्री गुरु स्तोत्र के साथ गुरु के 108 नामों का उच्चारण करना चाहिए I साथ ही हरिद्रा माला से गुरु के किसी भी मंत्र का जाप करें I गाय को भोग अवश्य दें I साथ ही संध्याकाळ में दीप अर्पित करें I कुछ ही समय में विवाह की चर्चा चलने का योग निर्मित होगा I